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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

सर्वश्रेष्ठ आँचलिक उपन्यासकार श्री फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित उनके श्रेष्ठ आँचलिक उपन्यास 'मैला आँचल' में बिहार प्रान्त के पूर्णिया जिले के मेरीगंज गाँव की विभिन्न जातियों के परस्पर वैमनस्य, अशिक्षा, दीनता - दरिद्रता, और रूढ़ियों, पाखण्डों एवं बाहयाडम्बरों को अभिव्यक्ति प्रदान की है। इसलिए उपन्यासकार ने उपन्यास की भूमिका में स्पष्ट लिखा है इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाल भी है, कीचड़ भी है चन्दन भी, सुन्दरता भी है, कुरूपता भी मैं किसी से दामन बचाकर नहीं निकल पाया। सर्वत्र गाँव में अंधविश्वास, छुआछूत और चारित्रिक पतन तथा गन्दगी जहालत व्याप्त है। मंदिरों और मठों में व्याप्त व्यभिचार जीवन मूल्यों में उपस्थित संकट तथा जमींदारों के घिनौने शोषक स्वरूप उपन्यास में अवलोकनीय है।

डॉ. आर. पी. शर्मा का कहना है उनकी दृष्टि 'नीरस यथार्थवादी नहीं है, उन्हें जीवन की सुन्दरता, मनोरमत एवं भव्यता से प्यार से। अतः मैला आँचल में देहात के मर्म का सरस और भावपूर्ण चित्र हैं, वहाँ के मैले दागदार जीवन का यथार्थ पर करुणा की आर्द्रता, संवेदना की ममता, निराशा के पार अदम्य आशा से पूर्ण अद्वितीय चित्र हैं। रेणु ने अपने हृदय की सारी ममता और करुणा उड़ेलकर ही अपने गाँव और वहाँ रहने वालों को देखा और उनका चित्रण किया है। लेखक ने पूर्णिया जिले के मेरीगंज के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन का चित्रण आत्मीयता और व्यापक दृष्टि से किया है। 'मैला आँचल' नामक उपन्यास में सामाजिक संबंधों का चित्रण अत्यन्त सशक्त रूप में हुआ है। गाँव में तीन प्रमुख दल हैं कायस्थ, राजपूत और यादव। ब्राह्मण लोगों की संख्या कम है इसलिए वे हमेशा तीसरी शक्ति का कर्त्तव्य पूरा करते हैं। राजपूतों और कायस्थों में पुस्तैनी मन-मुटाव और झगड़े होते आये हैं। गाँव में सर्वत्र अंधविश्वास, अज्ञानता, रूढ़ियों परम्पराओं और दरिद्रता का बोलबाला है।

चिचाय की माँ, रमजू की माँ, फुलिया, फुलिया की माँ और रामप्यारी आदि नारी पात्र हरिजन वर्ग में व्याप्त जहालत, अन्धविश्वास, गन्दगी और चरित्रहीनता की सच्ची और मार्मिक छवि उजागर करती है। चिचाय की माँ का पेशा अवैध गर्भपात कराना है और पार्वती की माँ का दुर्भाग्य यह है कि उस के पति, देवर-देवरानी, बेटा-बेटी भयंकर बीमारी के कारण असामयक काल कवलित हो जाते हैं परन्तु अंधविश्वासी-पाखंडी समाज उसे 'डाइन' घोषित कर दिया है, 'डाइन' हैं। तीन कुल में एक को भी नहीं छोड़ा सभी को खा गयी। पहले भतार को, इसके बाद देवर-देवरानी, बेटा-बेटी, सबको खा गयी। अब एक नाती है, उसको भी चबा रही है। रमजू की माँ चरित्रहीन और भ्रष्ट औरत है तथा यौवनावस्था में रामकिरपाल सिंह की रखैल रह चुकी और बुढ़ापे में जवान लड़कियों के अवैध संबंधों का नियोजन करती है। फुलिया की माँ भी चरित्रहीन, झगड़ालू व कुटिल औरत है तथा उसके भी कई लोगों से अवैध संबंध है। तेतरा, कलरू और छीतन आदि उसके प्रेमी हैं तथा उसकी बेटियों के भी ऊँची जाति के नवयुवकों और प्रौढ़ों से अवैध संबंध हैं। रमजू की माँ के शब्दों में वह बेटी की कमाई पर लाल साड़ी चमकाती है। और बेटी को 'दुधरु गाय' समझती है। फुलिया मुक्त काम संबंधों में विश्वास करती है और नैतिक बंधनों को सर्वथा उतार फेंकने के पक्ष में है। सहदेव मिसिर के साथ उसके अवैध संबंध हैं और विवाह वह खलासी से करना चाहती है और गुहाल में उसके साथ भी रात बिताती है। फुलिया की बहन रामपिरिया भी अपनी बहन और माँ द्वारा दिखाये रास्ते पर चलती है। महन्त रामदास को फँसा लेती है और उसकी दासिन बन जाती है। महन्त सेवादास और लक्ष्मी के अवैध सम्बन्ध भी मठों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं। लोगों उसके बारे में स्पष्ट कहते हैं, 'धर्म भ्रष्ट हो गया है। बगुला भगत है। ब्रह्मचारी नहीं, व्यभिचारी है। पचास वर्षीय महन्त किशोर लक्ष्मी के साथ बलात्कार करता है और अन्धा बूढ़ा होने पर भी उसकी कामवासना शांत नहीं होती। यहा तक कि मृत्यु के पूर्व भी वह लक्ष्मी के साथ संभोग करता है। रामदास भी लक्ष्मी के शरीर पर महन्त सेवादास के समय से कुदृष्टि रही है। उपन्यासकार के शब्दों में, 'कहाँ वह बच्ची और कहाँ पचास बरस का बूढ़ा गिद्ध। रोज रात लक्ष्मी रोती थी ऐसा रोना कि सुनकर पत्थर भी पिघल जाये। सुबह में रोने का कारण पूछने पर चुपचाप टुकुर टुकुर मुँह देखने लगती थी। ठीक गाय की बाछी की तरह, जिसकी माँ मर गयी हो। रामदास रामपियारी के अवैध संबंध भी मठों की पवित्रता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं तथा चरित्रहीन मठाधीशों का प्रतिनिधित्व करता है। भरसिंघ दास कबीर पंथी साधुओं के चारित्रिक पतन और मठों की गद्दी के लिए होने वाले षडयंत्रों का यथार्थ प्रतिनिधित्व करता है। लेखक ने मठों की व्यवस्था में होने वाली धांधली और अन्याय, अनाचार, शोषण आदि का भी सजीव चित्रण किया है। लक्ष्मी बालदेव के प्रेम संबंध भी उपन्यास में मार्मिक रूप में चित्रित किये गये हैं। प्रशान्त और कमली का प्रेम व्यापार भी 'मैला आँचल' में एक घिसी-पिटी प्रेम कथा के रूप में चित्रित है परन्तु लेखक अपनी अनुभूति से उसे मार्मिक बना दिया है। कमली अविवाहित स्थिति में ही माँ बनने वाली है और प्रशांत कमली और उसके माता- पिता को एक अप्रिय सामाजिक स्थिति से उबारने के लिए विवाह कर लेता है। बालदेव भी लक्ष्मी के प्रति आकर्षित है परन्तु अपने प्रेम की अभिव्यक्ति वह लक्ष्मी के समक्ष नहीं कर पाता। लक्ष्मी स्पष्ट कहती है- "बालदेव जी तो इतने नाजुक हैं कि कभी एकान्त में बातचीत करना चाहो तो थर थर काँपने लगे, चेहरा लाल हो जाये।' अन्ततः उनका यह प्रेम दापत्य में परिवर्तित हो जाता है। लेखक ने कालीचरण-मंगला के प्रेम में वासना की उद्दामता न मानकर अनुराग की मीठी धूप स्वीकारी है।

मैला आँचल में पात्रों के अनैतिक संबंधों की विवेचना - विश्लेषण करते हुए डॉ. सतीश कुमार भार्गव लिखते हैं-

'समाज में ऊँची जाति के लोग निम्नवर्गीय स्त्रियों के साथ अवैध सम्बन्ध रखने में कोई हर्ज नहीं समझते तो दूसरी ओर उच्च वर्ग की स्त्रियाँ भी पुरुषों की कमजोरी का भरपूर उपयोग करती हैं। हर गौरी अपनी मौसेरी बहन का उपभोग करता है तो कमली भी अवसर पाकर डॉ. सम्बन्ध जोड़ लेती है। बालदेव और लक्ष्मी, कालीचरण और मंगला भी जीवन में आनंद लूटने में पीछे नहीं रहती। आलोच्य उपन्यास को पढ़ने के बाद लगता है कि मेरीगंज गाँव में रहने वाले पेट की भूख के समान ही यौन के भूख की तृप्ति करते हैं और उसके लिए किसी प्रकार की नैतिकता को आड़े नहीं आने देते। जब लड़ते हैं तो सभी एक-दूसरे की पोल खोलने में गौरव समझते हैं और लड़ाई समाप्त हो जाने पर फिर सब हँसते गाते और सब मिलकर उत्सव मनाते दिखायी पडते हैं। वास्तविकता तो यह है कि मेरीगंज गाँव के लोगों के आपसी सम्बन्ध मधुर नहीं हैं बल्कि कटुता व अवसादपूर्ण हैं। वे एक-दूसरे को नोंचने काटने के लिए तत्पर हैं यथा - विश्वनाथ प्रसाद सिंह तहसीलदार ने कानूनी दांव पेंच का सहारा लेकर सभी गाँव वालों की जमीन हथिया ली है। नैतिकता, चारित्रिक उद्धात्तता का बड़ा अभाव है और लगभग सभी ऊँच पुरुषों के लोगों ने निम्न जाति की नारियों के साथ अवैध संबंध स्थापित कर रखे हैं। फुलिया खलासी के संबंध, फुलिया सहदेव मिसिर के संबंध, डॉ. प्रशांत और कमली के सम्बन्ध और तहसीलदार हरगौरी के अपनी मौसेरी बहन के साथ अवैध सम्बन्ध, बलदेव और लक्ष्मी के अनैतिक पूर्ण संबंध तथा कालीचरण और मास्टरनी के संबंध इस प्रकार मेरीगंज के जनजीवन में यौन आकर्षण प्रबल है और अनैतिक मर्यादा के बंधन अत्यंत शिथिल हैं। सर्वत्र जाति-पाति और छुआछूत का बोलबाता है और एक-दूसरे को अविश्वास की दृष्टि से देखते हैं। ब्राह्मण लोग अपने को श्रेष्ठ स्वीकारते हुए सरब संघटन में न खाने की घोषणा करते हैं, 'बामनों ने तो साफ इंकार कर दिया है। यदि बामनों के लिए अलग प्रबन्ध न हुआ तो संघटन में नहीं खाएँगें। बामन भोजन ही नहीं हुआ तो फिर भोज क्या। महंत जी से कहना होगा। बामने है ही कितने, सब मिलाकर दस घर।

महंत साहब ने सब सुनकर कहा, सतगुरु हो। सतगुरु हो। बामने लोगों का अलग इन्तजाम कर दो बालदेव बाबू ! इसमें हर्ज ही क्या है नहीं हो तो उन लोगों का प्रबन्ध मठ पर ही कर दो।

इस प्रकार सिपहिया टोला के लोग भी ग्वाला लोगों के साथ बैठकर एक पंगत में खाने की घोषणा करते हैं और चाहते हैं कि उनका आटा घी-चीनी अलग से दे दिया जाये। इस प्रकार यादव लोग भी धानुक लोगों के साथ एक पंगत में बैठकर खाने का विरोध करते हैं। लक्ष्मी भी गाँव के लोगों के आपसी संबंधों को इस प्रकार से उजागर करती है, 'गाँव के ग्रह अच्छे नहीं हैं। जहाँ छोटी-मोटी बातों को लेकर इस तरह के झगड़े होते हैं, जहाँ आपसी प्रेम-मिलाप नहीं है वहाँ जो कुछ न हो वह थोड़ा हैं। इसी प्रकार बूढ़े जोतखी भी आपसी सम्बन्धों को उजागर करते हुए स्पष्ट कहते हैं, 'कोई माने या ना माने, हम कहते हैं कि एक दिन इस गाँव में गिद्ध कौव उड़ेगा। लक्षण अच्छे नहीं हैं। गाँव का ग्रह बिगड़ा हुआ है। किसी दिन इस गाँव में खून होगा, खून ! पुलिस, दरोगा गाँव की गली-गली में घूमेगा। और यह इसपिताल? अभी तो नहीं मालूम होगा। जब कुएँ में दवा डालकर हैजा फैलायेगा तो समझना शिव हो! शिव हो ! डॉ. आर. पी. शर्मा का कहना है विभिन्न जातियों के परस्पर वैमनस्य, अंधविश्वास, रूढ़ियों, गरीबी और झगड़ों ने यदि वहाँ के जीवन को भूल, धूल और कीचड़ भरा बना दिया है, तो वहाँ के नैसर्गिक भोलेपन, लोकगीत, लोकनृत्य और संस्कृति उसे चन्दन की सुगन्ध प्रदान करते हैं। रेणु ने जीवन के इन सभी पक्षों का बड़ी आत्मीयता और तटस्थता से चित्रांकन प्रस्तुत किया है। गाँव में भिन्न-भिन्न जातियों और टोलियों के लोग रहते हैं जो भिन्न-भिन्न रीति-रिवाज, मान्यताओं व परम्पराओं का पालन करते हैं। इन टोलियों जातियों के लोगों में आपसी मनमुटाव रहता है और छोटी-छोटी बातों पर दरिद्रता व अफवाहों का सर्वत्र अधिपत्य है और रूढ़िवादिता तथा मूर्खता का परिचय उपन्यास में अनेक स्थलों पर मिलता है। इसी प्रकार बूढ़े जोतखा की चार पत्तियों में अन्तिम कनचारी वाली जीवित है। उसकी पहली पत्नी मेला घूमने की शौकीन थी और पंचानन झा से उसके अवैध संबंध थे। कनचीरा वाली के बारे में शक है कि वह अपने नौकर से फँसी हुई है तथा उसकी मृत्यु भी पेट में बच्चे के अटक जाने से होती है। गाँव में अपनी-अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए व हेकड़ी मारने के लिए एक-दूसरे की बेइज्जती करते हैं और पिटाई भी कर डालते हैं। बालदेव और सिंघजी व उसके पुत्र हरगौरी के संवाद आपसी संबंधों को ही उजागर करते हैं यथा -

"आप तो लीडर हो ही गए। तो आजकल कांग्रेस आफिस का चौका बर्तन कौन करता है?" हरगौरी अचानक उबल पड़ा। 'अरे भाई, सभी काशी चले जाओगे? पत्तल चाटने के लिए भी कुछ लोग रह जाओ। जेल क्या गये, पं. जमाहिर लाल हो गये। कांग्रेस आफिस में भोलटियरी करते थे, अब अन्धों में काना बनकर यहाँ लीडरी छाँटने आये हैं। स्वयंसेवक न घोड़ा का दुम।

बाबू साहेब मुँह खराब क्यों करते हैं? आप विद्वान हैं और हम जाहिल। हमसे जो कसूर हुआ है कहिए। उठ जाओ दरवाजे पर से। बेईमान कहीं के। डिस्ट्रिक्ट बोर्ड से अस्पताल की मंजूरी हुई है, रुपया मिला है। सब चुपचाप मारकर अब बेगार खोज रहे हैं। चोर सब। उठ जाओ दरवाजे पर से। इस प्रकार हरगोरी बालदेव की इस बात से खफा है कि वह मलेरिया डिस्पेंसरी खुलवाने में पूरा योगदान दे रहा है परन्तु उन्हें कोई महत्त्व प्राप्त नहीं हैं। इसलिए ईर्ष्या-द्वेष व प्रतिद्वन्दिता की भावना उसके हृदय में घर कर गई है। इस प्रकार बालदेव - हरगौरी संवाद और यादव सेना के अचानक हमले ने गाँव की दलबन्दी को नया जीवन प्रदान कर दिया था। इसी प्रकार महन्त साहब मठाधीश और गाँववाले के संबंधों में मधुरता व आत्मीयता है और वह सभी गाँव वालों को भोज देता है। उपन्यासकार का कहना है, 'सनिच्चर को ही महंथ साहेब का भंडारा है - पूड़ी जलेबी का भोज। सारे गाँव के औरत-मरद, बूढ़े बच्चे और अमीर-गरीब को महंथ साहेब खिलावेंगे। सपनौती हुआ हैं। बालदेव को समझाते हुए सिंघ साहब स्पष्ट कहते हैं, 'बालदेव तुम यहाँ से चले जाओगे तो मेरीगंज गाँव का दुरभाग होगा, सरम की बात होगी। गाँव में तो लड़ाई-झगड़े लगे ही रहते हैं। दो हंडी एक जगह रहें तो ढनमन होना जरूरी है। तुम लोगों का काम है गाँव में मेल-मिलाप बढ़ाना - गाँव की उन्नति करना। इसमें जो बाधा डालता है, वह अधर्मी है। तुम लोग देश के सेवक हो। खलऔर कुटिल लोगों को सुमारग पर चलाना तुम्हीं लोगों का काम हैं।"

उपन्यासकार ने प्रस्तुत उपन्यास में बूढ़ों और नौजवानों के सम्बन्धों पर भी प्रकाश डाला है कि वे किस प्रकार रौदी बूढ़ा से मसखरी करते हैं और उसे चिढ़ाते हैं - गुअर टोली के रौदी बूढ़ा को सभी मिलकर चिढ़ा रहे हैं। रौदी गोप गाँव-गाँव में घूमकर दही बेचता है। उसकी चाल-चलन, बोला-बाली सब कुछ औरतों जैसी है। सिर और छाती पर से कपड़ा सरक जाने पर औरतों की तरह लज्जा कर ठीक कर लेता है। मरदों से बात करने के समय लजाता हैं, औरतें उसके सामने किसी भी किस्म का परदा नहीं करती। हाट जाते और लौटते समय वह औरतों के झुण्ड में ही रहता है अभी सब मिलकर रौदी बूढ़ा को चिढ़ा रहे हैं, 'तुम्हारा हिस्सा आँगन में भेज दिया जायेगा। देखो लालच ने तुम्हारा पत्ता लगा दिया है। दूर मुँह झाँसे बड़े पुराने से हँसी - दिल्लगी करते लाज नहीं आती। हम पूछते हैं तुम लोगों से कि तुम लोग अपनी बूढ़ी दादी और नानी से भी इसी तरह की मसखरी करते हो? इस गाँव के लौड़ेछौड़े बिगड गये हैं। और सारा दोख इसी सिघवा का है। जहाँ बूढ़े ही बदचाल हों तो लौंडों का क्या हाल हम कह देते हैं, सुन रखो। हाँ। डॉ. प्रशांत ममता को मेरीगंज के निवासियों के बारे में लिखता हैं कि गाँव के लोग बड़े सीधे दिखते हैं सीधे का अर्थ यदि अपढ़, अज्ञानी और अंधविश्वासी हो तो वास्तव में सीधे हैं वे जहाँ तक सांसारिक बुद्धि का सवाल है वे हमारे और तुम्हारे जैसे लोगों की दिन में पाँच बार ठग लेंगे और तरीफ यह है कि तुम ठगी जाकर भी उनकी सरलता पर मुग्ध होने के लिए मजबूर हो जाओगी। प्रशांत गाँव वालों की सरलता, निरीहता, व भोलेपन की ममता से प्रशंसा करता है। तहसीलदार विश्वनाथ प्रसाद सिंह और उसकी बेटी के आत्मीयपूर्ण संबंधों को भी उजागर करता है - 'डॉ. साहब, बस यही मेरा बेटा है, यही मेरी बेटी..... सब कुछ यही है। डॉ. और प्यारू के संबंध भी स्वामी और सेवक के संबंधों का खुलासा करता है। स्वामी के प्रति पूर्णतः समर्पित प्यारु प्रशान्त का सहायक व रसोइया आदि है।

गाँव भर के सभी लोग उसे प्यार करते हैं और गाँव भर में उसकी मामी, मौसी, नानी, दादी और काकी हैं। डॉ. ममता श्रीवास्तव और प्रशांत के संबंध भाई-बहन या शुद्ध सच्ची मित्रता के संबंध है और संबंधों की पवित्रता को स्पष्ट करते हैं। प्रशान्त और कमली के प्रेम संबंध को भी वह एक उदार बड़ी बहन के रूप में ग्रहण करती है और गहरी आत्मीयता के साथ कमली के सूति ग्रह में चली जाती है। उपन्यासकार ने कालीचरण और मंगला के सम्बन्धों को भी स्पष्ट किया है। कि उन दोनों में प्रेम भाव विकसित होता है, पर वह मौन रहता है, मुखर नहीं होता। मंगला और कालीचरण का वार्तालाप कामासक्त स्त्री - पुरुष का प्रेमालाप नहीं है वरन् एक-दूसरे के प्रति मौन भाव से समर्पित सच्चे प्रेमी युगल के हृदय का उद्गार है। इसी प्रकार ममता प्रशांत और गाँव के मरीजों के आपसी सम्बन्ध डॉ. और रोगी के पावन - सात्विक संबंधों की उदात्त कहानी है।

ममता और प्रशांत का उद्देश्य धन कमाना नहीं है बल्कि समाज सेवा करना है, इसी हेतु डॉ. प्रशांत सुखभरी जिन्दगी का परित्याग करके मेरीगंज जैसे पिछड़े गाँव में आता है। वास्तव में उनका उद्देश्य गरीबों, दीन-दलितों और रोगियों की सेवा करना है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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